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सूत्रकृतांग सूत्र परं पच्चक्खाति, अयमपि णो उवएसे णो णेआउए भवइ, एवियाई आउसो वा गोयमा ! तुभं पि एवं रोयइ ? ॥ सू० ७३ ॥
संस्कृत छाया एवं खलु प्रत्याख्यायतां सुप्रत्याख्यातं भवति, एवं खलु प्रत्याख्यापयतां सुप्रत्याख्यापितं भवति, एवं ते परं प्रत्याख्यापयन्तः नातिचरन्ति स्वीयां प्रतिज्ञाम् "नान्यत्राभियोगेन गाथापतिचोरग्रहणविमोक्षणतः त्रसभूतेषु प्राणेषु निधाय दण्ड, एवमेव सति भाषायाः पराक्रमे विद्यमाने ये ते कोधाद् वा लोभाद् वा परं प्रत्याख्यापयन्ति (तेषां मृषावादो भवति), अयमपि न उपदेशो, न नैयायिको भवति । अपि च आयुष्मन् गौतम ! तुभ्यमपि एवं रोचते ? ।।सू० ७३।।
अन्वयार्थ (एवं ण्हं पच्चक्खंताणं सुपक्चक्खायं भवइ) परन्तु जो लोग इस प्रकार प्रत्याख्यान करते हैं, उनका प्रत्याख्यान सुप्रत्याख्यान होता है, (एवं ण्हं पच्चक्खावेमाणाणं सुपच्चक्खावियं भवइ) तथा इस प्रकार जो प्रत्याख्यान कराते हैं, उनका प्रत्याख्यान कराना सुप्रत्याख्यान कराना होता है (एवं ते परं पच्चक्खावेभाणा णातियरंति सयं पइण्णं) इस प्रकार जो दूसरे को प्रत्याख्यान कराते हैं, वे अपनी प्रतिज्ञा का अतिक्रमण नहीं करते । (णण्णत्थ अभिओएणं गाहावइचोरग्गहणविमोक्खणयाए तसभूएहिं पाहिं दंड णिहाय) वह प्रत्याख्यान इस प्रकार है- "राजा आदि के अभियोग को छोड़कर गाथापति चोर के ग्रहण किये जाने पर उनके विमोचन (मुक्त कराने के समान वर्तमान काल में त्रस रूप में परिणत प्राणी को दण्ड देने का त्याग है। (एवमेव सइ भासाए परक्कमे विज्जमाणे जे ते कोहा वा लोहा वा परं पच्चक्खाति) इस प्रकार त्रस पद के बाद 'भूत' पद लगा देने से जब भाषा में ऐसी शक्ति आ जाती है, तब उस मनुष्य का प्रत्याख्यान नष्ट नहीं होता, तब जो लोग क्रोध या लोभ के वश होकर त्रस के आगे 'भूत' पद न जोड़कर दूसरे को प्रत्याख्यान कराते हैं, वे अपनी प्रतिज्ञा को भंग करते हैं, ऐसा मेरा विचार है । (अयमवि णो उवएसे णो णेयाउए भवइ) क्या हमारा उपदेश न्यायसंगत नहीं है ? (अवियाई आउसो गोयमा ! तुम्भंपि एवं रोयइ) तथा हे आयुष्मन् गौतम ! यह हमारा कथन क्या आपको भी रुचिकर लगता है ?
व्याख्या उदकपेढालपुत्र द्वारा प्रस्तुत सुप्रत्याख्यान का स्वरूप
इस सूत्र में उदकपेढालपुत्र प्रत्याख्यान के सम्बन्ध में अपने अभीष्ट मत को प्रस्तुत करता है-जो श्रमणोपासक त्रसप्राणी को मारने का त्याग करते हैं, और जो श्रमण उन्हें वैसा त्याग कराते हैं, उन दोनों की पद्धति समीचीन नहीं है। मैं जो
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