Book Title: Sanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Author(s): Chandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
Publisher: Kalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
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३५० सस्कृत-प्राकृत व्याकरण और कोश की परम्परा
जाते हैं, जैसे कि- तोयप्रद, जीवनप्रन, कप्रद, वारिप्रद, अप्प्रद, शरप्रद, सलिलप्रद, कुशप्रद इत्यादि।
५ जल वाचक शब्द के साथ 'उद्भव' शब्द जोड देने से कमलवाचक वन जाते हैं और 'धि' शब्द जलवाचक शब्दो के साथ जोड देने से वही समुद्र का वाचक बन जाता है । ५
इस प्रकार इस कोश के अध्ययन से अत्यन्त सरलता के साथ सस्कृत का शब्दभाण्डार वृद्धिगत हो जाता है। इस कोश का मौलिकता यह है कि उस युग में शब्दनिर्माण की प्रचलित प्रक्रिया को जो रूढ हो चुकी थी, यह प्रस्तुत करता है। वास्तव में शिक्षार्थियो के लिए यह कोश अत्यन्त उपयोगी है । इस कोश मे कुल २०३ श्लोक है । इस लघुकाय ग्रन्थ मे १७०० शब्दो का सकलन किया गया है। सामान्य रूप से विद्यार्थियो के लिए इतना ज्ञान होना आवश्यक है।
महाकवि धनजय की 'नाममाला' के अतिरिक्त 'अनेकार्य नाममाला' ४४ ५लोको की लघुतम रचना तथा 'अनेकार्थ-निघण्टु' रचनाएं भी मिलती है जो 'नाममाला सभाष्य' के अन्तर्गत भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हो चुकी है। 'अनेकार्थ-निघण्टु' मे १५३ श्लोक हैं और १६ श्लोक 'एकाक्षरी नाममाला' के है । वास्तव मे ये सब नाममाला के ही उपविभाग है।
वस्तु-कोश
केवल उत्तर भारत में ही नही, दक्षिण भारत मे भी जैनाचार्यों ने सस्कृत और प्राकृत मे विशाल साहित्य की रचना की है। कविशिरोमणि नागवर्म द्वितीय ने जहाँ सस्कृत मे 'भाषा-भूषण' नामक उत्कृष्ट व्याकरण की रचना की, वही 'वस्तु-को' की रचना कर कन्नड़ भाषा मे प्रयुक्त होने वाले संस्कृत शब्दो का अर्य परिचायक पद्यमय निघण्टु या कोश की प्रसिद्धि की । यह को५ वररुचि, हलायुध, शाश्वत, अमरसिंह आदि के कोशमन्थो को देखकर निर्मित हुम।। इसका रचनाकाल ११३६-११४६ ई० है । यह सस्कृत-कन्नड का सबसे बड़ा कोश माना जाता है । इसी प्रकार देवोत्तम का नानारत्नाकर' भी उल्लेखनीय है।" किन्तु सम्प्रति इस कोश के सम्बन्ध मे विशेष विवरण उपलब्ध नही है। इस प्रकार के अन्य कोश भी हो सकते हैं जो हमारी जानकारी मे नही हैं।
अभिधानचिन्तामणि
जन कोशो मे 'अभिधान चिन्तामणि' का एक विशिष्ट स्थान है। इसका प्रमुख कारण यह है कि आचार्य हेमचन्द्र सूरि ने इसमे जन पारिभाषिक शब्दो का विशेष रूप से उल्लेख किया है। उनके अनेक पर्यायवाची शब्द भी दिए है। यह कोश