Book Title: Sanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Author(s): Chandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
Publisher: Kalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
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१९वी २०वी शताब्दी के जन कोशकार और उनके कोशो का मूल्यांकन ४०७
१९६६ लेश्याकोश
__ मोहनलाल बाठिया १६ सी डोवर लेन
श्रीचन्द चौरडिया कलकत्ता-६ १९६६ क्रियाको
, ,
, १९७० जनेन्द्र सिद्धान्त- १-४ क्षु० जिनेन्द्र वर्णी भारतीय ज्ञानपीठ કોશ
दिल्ली-१ (१९७०-७३) १६७० एडिक्शनरी ऑफ १ २ मोहनलाल मेहता एल० डी० इस्टी
प्राकृत प्रॉपर नेस के० रिपभ चन्द्र ट्यूट ऑफ (१९७०-७२)
इडोलोजी,
अहमदाबाद-६ *१९७२ जन लक्षणावली १ २ वालचन्द्र सि०० वार सेवा मन्दिर, (१९७२-७३)
दिल्ली-६ +१९७५ जनागम-पदानुक्रम मोहनलाल मेहता पालनाथ
जमनालाल जन विद्याश्रम, शोध
संस्थान
वाराणसी-५ ८ आगे अधोलिखित कोशो का सक्षिप्त परिचय एव मूल्याकन दिया जा रहा है (क) अभिधानराजेन्द्र, ७ भाग राजेन्द्रसूरि अभिधान-राजेन्द्र कार्या
लय, रतलाम १६१०-१९३४ । (ख) लेश्याकोश मोहनलाल बाठिया, श्रीचन्द चौरडिया १६ सी
डोवर लेन, कलकत्ता-६ १९६६ । (ग) जैनेन्द्रसिद्धान्त कोश, ४ भाग क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी भारतीय
शनिपी०, बी-४५/४७, कनाट प्लेस, नयी दिल्ली-१ १९७०
१९७३। (घ) एडिक्शनरी ऑफ प्रॉपर नेम्स, २ भाग मोहनलाल मेहता, के
रिषभ चन्द्रा एल०डी० इस्टीट्यूट आफ इंडोलॉजी, अहमदाबाद-६ १९७०-१६७२।
* इसके २ भाग प्रकाशित हो चुके हैं, एक प्रका५५ है । + यह पावनाय विधाश्रम शोध संस्थान, वाराणसी के तत्वावधान में प्रकाशित शोध मासिक 'श्रमण' के जनवरी १९७५ से प्रकाशित है। अक्तूबर १९७६ के अक तक (अबाहिरिय' श०८ तक) इसका प्रकाशन हुआ है। 'धारावाहिक कोश-प्रकाशन' की दिशा में यह एक स्वस्थ प्रयोग है । नवम्बर, दिसम्बर १९७६ के अ को में इसका प्रकाशन नही हुआ है।