Book Title: Sanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Author(s): Chandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
Publisher: Kalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
View full book text
________________
४१२
संस्कृत-प्राकृत व्याकरण और कोश की परम्परा
गया है, इसी मे सारणियो, चित्रो और मुद्रणाक्षरो के गवन्ध मे भी विवरण दिये गये है । कोश मे सारणियो द्वारा विषय सक्षेप मे रूपरेखात्मक शैली मे प्रस्तुत किये है तथा हिन्दी अनुवाद भी दिये गये है। प्रधान संपादकीय में कोश की परिकल्पना की एक इतिहासिक झलक दी गयी है, कहा गया है कि इस ग्रन्थ का मूल आधार १९०६ ई० मे प्रकाशित स्व० प० गोपालदाम वरैया कृत 'जैन सिद्वान्त प्रवेशिका ' है । यह कोश द्रव्य, करण, चरण और प्रथमानुयोगो के अन्तर्गत परिगणित विषयोव्यक्तियों की वर्णक्रमानुसार विवेचना करने वाला एक बहुमूल्य वृहत् कोश है । इसके रूपाकार पर एक विहंगम दृष्टि इस प्रकार सभव हे
भाग
प्रकाशन वर्ष
शब्दक्रम
प्रथम
१६७०
अ ओ
द्वितीय
१६७१
क न
१९७२
प--व
१६८३
श
ह
૪ વર્ષ
अ ह
२३१८
1
१२ एडिक्शनरी ऑफ प्राकृत प्रॉपर नेम्स अगरेजी यह भी एक विशिष्ट कोश है, जिसे एल० डी० इस्टीट्यूट ऑफ इडोलोजी, अहमदाबाद जैसी यशस्विनी सस्था ने दो भागो मे प्रकाशित किया है । पहला भाग १९७० ई० और दूसरा १९७२ ई० मे प्रकाश मे आया है । यह भी प्राच्यविद्या के क्षेत्र का एक अप्रतिम सदर्भग्रन्थ है । दोनो भागो मे १०१४ पृष्ठ है और ८,००० व्यक्तिवाचक पदो को विवृत किया गया है । सस्या के निदेशक प० दलसुख मालवणिया ने अपने प्राक्कथन मे कहा है कि इसकी मूल प्रेरणा 'वैदिक इंडेक्स' और "डिक्शनरी आफ पालि प्रापर नेम्स" से मिली है । यद्यपि "वैदिक इंडेक्स" और "पालि प्रापर नेम्स" को तैयार करना इसलिए सरल सहज था कि इनके सारे सामग्री-स्रोत लगभग प्रकाश मे आ चुके थे किन्तु प्राकृत के लगभग अधिकाश ग्रन्थ अप्रकाशित ही है, अत सपादको को अनेक पाडुलिपियो से अपना न्यास जुटाना पडा है । इसमें केवल श्वेताम्बर आगम ग्रन्थो से ही पदो का चयन किया गया है तथा आगममूलो के अलावा प्रकाशित टीकाओ नियुक्तियो, भाष्यो, चूर्णियो से भी सामग्री आकलित की गयी है । कोश- सपादन मे केवल एक दो व्यक्तियो ने नही वरन् एक पूरे विद्वन्मण्डल ने काम किया है । कार्ड - विवरण तैयार हो जाने के बाद डा० मेहता और डा० चन्द्रा ने कोश को अन्तिम रूप दिया है । प्राक्कथन यद्यपि वडा नही है, किन्तु उसमे प्राय सभी महत्वपूर्ण मुद्दो पर प्रकाश डाल दिया गया है । कोश के प्रथम भाग में अडड से फेणामालिणी तथा द्वितीय मे वउस से होलिया तक पद मकलित है, दोनो मे कुल १०१४ पृष्ठ है और अन्त मे एक शब्दानुक्रमणिका
તૃતીય
चतुर्थ
४
पृष्ठ
५०३
६३४
६३७
५४४
+3