Book Title: Sanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Author(s): Chandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
Publisher: Kalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
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संस्कृत के जैन पौराणिक काव्यों की शब्द-सम्पत्ति
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मेजिनेन्द्र मन्दिरो से सम्बद्ध सूची मे दिये गये है, प्रासादो से सम्बद्ध कुछ शब्द यहा दिये जा रहे हैं प्रासाद ( ११०।६३), कनकस्तम्भसहस्रपरिशोभित (१९०१६३) कुट्टिम (१४११२६, ११०६४), सर्वोपकरणान्वित ( ११०१६४), स्नानादिविधिसम्पत्तियोग्य निर्मल भूमि (११०/६५), वलभीशोभि ( ४९/२), रत्न निर्मितशेखर (४६ २ ), हेमद्रवन्यस्त लेप्यतेज समुज्ज्वल (४६२), मुक्तादामसमाकीर्ण ( ४६ ३ ), वातायनविराजित ( ४६३), उद्यानाकीर्णपर्यन्त (४४१३ ) हेमस्फटिक वैडूर्यस्तम्भ निर्माण-निर्मित ( १४ १२८ ), बहुभूमिक प्रासाद (१४ १२८), भित्ति ( १४ । १२८), विचित्रमणिकुट्टिम ( १४ १२९ ), रुरु चमर-सिंह-गजादि-रूप-निचित-पार्श्व वेदिकालकृत ( १४ | १३० ), चन्द्रशीलादियुक्त ( १४|१३१), ध्वजमालाविभूपित ( १४/१३१), सोपाश्रयमनोहारिशयनासनसगत ( १४ १३१), आतोद्यवरसम्पूर्ण ( १४ १३१), शृगकोटि ( ८ २०) तथा शखशुभ्र महागृह (८२५) आदि ।
१६ स्त्रियो के लिए ज्ञातव्य कलाओ से सम्बद्ध शब्द : केकया की कलाओ के वर्णन मे तथा कुछ अन्य प्रसगो मे इन कलाओ से सम्बद्ध शब्दावली का प्रयोग हुआ है, यया
(अ) नाट्यकला परक शब्दावली नृत्त (२४/६ ), गीत ( २४/१६), वाद्य ( २४/२१), नाट्य ( २४/२२), अगहाराश्रय ( २४ ६ ), अभिनयाश्रय ( २४१६), व्यायामिक (२४४६), तेवालेवाध्वनि ( ३७।१००), रेचक ( ३७।१०३), ललितागविवर्तन (३७।१०३), सस्मितालोकित ( ३७।१०४), विगलद् भ्रुसमुद्गम (३७।१०४), गमकानुगतस्तनकम्प ( ३७|१०४), जघनसचार ( ३७|१०५ ), बाहुलताहार ( ३७/१०५), सुलीलकरपल्लव ( ३७|१०५), पादन्यास (३७।१०६), लघुस्पृष्ट विमुक्तधरणीतल ( ३७।१०६), आशुसम्पादितस्यान ( ३७/१०६), केशपाशविवर्तन ( ३७|१०६), त्रिकवलग्न ( ३७|१०७), गातसन्दर्शन ( ३७|१०७), मूच्र्छना ( ३७|१०८), परिलीनसखीस्वर ( ३७|१०८), आतोद्यानुगतनृत्य ( ३७|११२), (३७।११२), कण्ठ (२४/७ ), शिरस् (२४/७ ), उरस् (२४/७ ), पड्ज (२४८), ऋषभ ( २४८) गान्वार (२४।८) मध्यम (२४1८), पञ्चम (२४८), वैवत ( २४/८), निषाद, ( २४८), द्रुत (२४१६ ), मध्य ( २४/६ ), विलम्बित ( २४१६ ), लय (२४1९ ) अत्र (२४९), चतुरस्त्र ( २४/६ ), तालयोनि ( २४५६ ), वर्ण ( २४|१० ), ५५ (२४|१० ) स्थायी (२४|१०), मचारी ( २४/१०), आरोही ( २४|१० ), अवरोही (२४|१०), नाम (२४|११), आख्यात (२४|११ ), उपसर्ग ( २४|११ ), निपात (२४|११), संस्कृता, ( २४|११ ), प्राकृती ( २४|११ ), शौरसेनी (२४|११ ), झापा (२४|११ ), धैवती ( २४/१२), आपभी ( २४/१२), पड्जपडजा (२४११२), उदीच्या (२४१२), निपादिनी (२४|१२), गान्धारी (२४/१२),
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