Book Title: Sanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Author(s): Chandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
Publisher: Kalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
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सस्कृत, प्राकृत तथा अपभ्रश की आनुपूर्वी मे कोश साहित्य ३५३ का अर्थ निर्जल है, किन्तु 'मेदिनी' में निर्जन स्थान है ।३२ इसके अतिरिक्त 'अभिधानचिन्तामणि' मे सकलित अनेक शब्द मेदिनी' मे परिलक्षित नही होते, जैसे कि--चषाल, तेलपायिका, निशाटनी, पिक, विक्क, पारिन्द्र, पारीन्द्र, चिक्कस, गृहोलिका, शूलिको, शलल, शयु, विसार, शल्की, वादाल, शखमुख इत्यादि । इसका एक कारण यह भी है कि 'मेदिनी' अनेकार्यक कोश है।
'अभिधानचिन्तामणि' की एक विशेषता यह भी है कि इसमे पर्यायवाची शब्दो की सख्या बहुत है। एक 'मीन' शब्द के सोलह पर्यायवाची शब्द दिए हुए है।३ मत्स्य, पृथुरोमा, झष, वैसारिण, अण्डज, सघाचारी, स्थिरजित, आत्माशी, स्वकुलक्षय, विसार, शकली, शकी, शम्बर, अनिमिप और तिमि । इसी प्रकार १७ प्रकार के धान्यो का वर्णन 'अभिधानचिन्तामणि' मे किया गया है । फिर, उनकी पहचान भी बताई है। उदाहरण के लिए, पीला छोटे दाने का चावल 'क' कहा गया है
"क गुस्तु फगुनी कइगु प्रियड्गु पीततण्डुला ।' (११७६) उडद के सम्बन्ध मे कहा गया है
__"मापस्तु मदनो नन्दी वृष्यो बीजवरी व" (११७१)
इस कोश मे सबसे अधिक नाम ११८ पार्वती के सकलित हैं। इसी प्रकार सुन्दरता के पर्यायवाची २७ शब्द है ।५ निकट के वाचक २० पर्यायवाची शब्द हैं।६६ अन्य शब्दो के भी इसी प्रकार अधिक-से-अधिक पर्यायवाची शब्दो का सकलन लक्षित होता है। कई महत्त्वपूर्ण शब्दो के भी पर्यायवाची शब्द दिए गए है। जैन का पर्यायवाची शब्द अनेकान्तवादी दिया गया है। चावकि को लोकायतिक और वैशेषिक को 'कणाद' कहा गया है। अग्नि के २४ पर्यायवाची नामो का उल्लेख किया गया है। मुर्गे के १८ पर्यायवाची नाम और कोयल के ११ नामो का वर्णन किया गया है। नारकाण्ड' मे इस धरती के नीचे सात भूमियो का नरक के पर्यायवाची शब्द का उल्लेख किया गया है। नरक सात हैं और पर्यायवाची नाम भी सात है। अन्य सस्कृत के शब्दकोशो मे इन सात नरको का उल्लेख नहीं मिलता। ____ आचार्य हेमचन्द्र के इस कोश मे सस्कृत के अतिरिक्त प्राकृत भाषा के शब्दो का भी समावेश परिलक्षित होता है । जैसे कि पट्टन, बोहित्य,वप्पीह, खडक्किका, कण्डोलक, पोटी, सिड् घाण, सिड्याणक, झम्पा और गोविन्द आदि । कुछ देशी शब्द भी इस कोश मे लक्षित होते हैं । वे इस प्रकार है
१ लह रमणीय । हिन्दी मे 'लाड' (लाड-प्यार)। २ चिल्ल---एक पक्षी । हिन्दी मे 'चील'। ३ लडुक --- मोदक (अभि० १६४०) । हिन्दी मे लड्डू, बुदेली मे
लडुआ, राजस्थानी मे लाडू गुजराती मे लाडु ।