Book Title: Sanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Author(s): Chandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
Publisher: Kalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
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सस्कृत, प्राकृत तथा अपभ्रश की आनुपूर्वी मे कोश साहित्य ३५७ भवेदुद्दण्डपालस्तु मत्स्यसर्पप्रभेदयौ । वही, ५,५१
भवेत्सुरतताली तु दूतिकाया गिर सजि। वही, ५,५५ उक्त सभी पक्तिया शब्दश विश्वप्रकाश' कोश मे उपलब्ध होती हैं। अत यही जान पडता है कि ये वहा से उद्धृत की गई है । केवल विश्वप्रकाश' से ही नही, 'मेदिनी' से भी कुछ उद्धत है । परन्तु 'मेदिनी' की अपेक्षा विश्वप्रकाश' की उद्धत पक्तिया बहुत अधिक है। 'मेदिनीकोश' से उद्धृत कुछ ही पक्तिया हैं जो इस प्रकार है
प्रत्युद्गमनीयमुपस्येये धौताशुकद्वय । अनेकार्य० ६,६ एककुण्डल इत्येष बलभद्रे धनाधिपे । वही, ५,५२ रोचना रक्तकल्हारे गोपित्त परयोपिति । वही, ३,४३४
इस प्रकार यह 'अनेकार्थसग्रह' कोश पूर्व परम्परागत शब्दो की सकलना का एक सुन्दर कोप है। इतना ही नही, इसमे कई देशी भाषा के ऐसे प्रचलित शब्दो का भी समावेश है जो अन्य कोशो मे नही मिलते । जैसे कि
(१) लच घूस (अनेकार्थ० ३,७७१) । बुन्देलखडी 'लाच' (रिश्वत)। (२) गेन्दुक तकिया (अनेकार्य० ४,१६६) । विश्वप्रकाश' मे 'गेण्डुक'
शब्द है । बुन्देलखड मे इसे 'गेडुआ' कहते है। (५) गान्धिक गाधी (अनेकार्य० ३,३६) । ब्रज, बुन्देली मे 'गधी',
'उडिया, बिहारी और हिन्दी मे भी 'गधी' । प्राकृत गधिय' । (४) ब०. मूर्ख, मन्दबुद्धि (अनेकार्थ० ३,६१५) । वर, मा०र बुन्देली,
मालवी और हिन्दी मे। (५) चिल्ल चील (अनेकार्थ० २,४६७) । कुमायू, नेपाली, बगाली,
उडिया और अवधी मे चील' ।। (६) १० अविवाहित (अनेकार्थ० २,११०, देशीनाममाला ७,८३) ।
प्राकृत 'वठ' और उडिया 'वाठिया' । ५ अनेकार्यसग्रह' मे कुछ ऐसे शब्द भी मिलते हैं, जो सस्कृत मे तथा प्राकृत मे भी समान रूप से प्रचलित रहे है, किन्तु अर्थ की दृष्टि से उन शब्दो को तथा रचना की दृष्टि से भी गढे हुए होने के कारण देशी कहा जाता है । अर्थ की दृष्टि से यह है कि जब एक शब्द का एक अर्थ नियत है और अधिक-से-अधिक दो-तीन शब्द एक ही अर्थ को बतलाने वाले हैं, तो उसमे दो या दो से अधिक शब्दो की वृद्धि कसे हुई ? निश्चित ही वे शब्द किसी-न-किसी धारा से होकर भाषा विशेष मे समा गए होग, जो कालान्तर मे उस भाषा के अपने बन गये। यह क्रम सैकडो-हजारों वर्षों से चला आ रहा है। 'अनेकार्यसग्रह' मे भी इसी परम्परा का पालन दिखलाई पडता है। उदाहरण के लिए यहा सस्कृत का 'कुट' शब्द लिया जा सकता है। सस्कृत मे 'कुट' शब्द के निम्नलिखित अर्थ है "कोट, पत्थरफोडी, घड़ा और