________________
दसवाँ बोल
वन्दना
J
प्रश्न-वंदणएणं भंते ! जीवे कि जणय ?
उत्तर- वदणएणं नीयागोय कम्मं खवेइ, उच्चागोग निबंधइ, सोहागं च णं अप्पडिहयं आणाफलं निवत्तेइ, दाहि णभावं च णं जणय ॥ -
८' शब्दार्थ प्रश्न- भगवन् । 'वन्दना करने से जीव को क्या लाभ होता है ?
उत्तर-वन्दना करने से जीव नीचगोत्र कर्म का क्षय करता है, उच्च गोत्र का बन्ध करता है, सुभग, सुस्वर आदि का वन्व करता है, सब उसकी आज्ञा मानते हैं और वह दाक्षिण्य को प्राप्त करता है ।"
। व्याख्यान ... . चौवीस तीर्थड्रो की प्रार्थना करने के सम्बन्ध में पहले विवेचन किया जा चुका है । जिनकी प्रार्थना की जाती है, जिनका स्तवन किया जाता है, उन तीर्थङ्कर भगवान् को वन्दना-नमस्कार भी करना ही चाहिए। अत यहां वन्दना के विषय मे कहा जायेगा। कदाचित् कोई तीर्थङ्करों