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२०२-सम्यक्त्वपराक्रम (२)
है। क्या आप अपने बालकों के लिए ऐसा प्रयत्न करते हैं कि वे परमात्मा के नाम पर विश्वास रखे ? तुम वालको को फैसी कपडे तो पहनाते हो मगर उनसे वालको की आत्मा का कल्याण नही हो सकता । आत्म-कल्याण तो धर्म पर श्रद्धा रखने से ही होता है। तुम अपने बालको को धनदौलत आदि की विरासत तो सौपते हो मगर साथ ही साथ अपने धर्म की विरासत भी सोपो । ऐसा करने से उनका भी कल्याण होगा और तुम्हारा भी कल्याण होगा।