________________ बीसवां वोल-२६५ सकेगा / जिज्ञासा ज्ञानोपार्जन का एक उपाय है / आज विज्ञान का जो आधिपत्य दिखाई देता है, उसका आविष्कार शका-जिज्ञासा से ही हुआ है / अलबत्ता व्यर्थ की शकाए करना और सदा शकाशील बने रहना ठीक नही / इससे लाभ के बदले हानि ही होती है / अतएव हृदय में जो शका उत्पन्न हो उसे प्रश्न करके या शास्त्रचर्चा करके निवारण कर लेना चाहिए / इस प्रकार प्रतिपृच्छना या शास्त्रचर्चा करने से हृदय की शकाओं का समाधान होता है और आत्मा निःशक बनता है / आत्मा जब निःशक बनता है तभी उसका कल्याण होता है /