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अठारहवाँ बोल
स्वाध्याय
स्व-पर के कल्याण-साधन के लिए शास्त्र मे अनेक उपाय बतलाये है | क्षमापणा भी उनमे से एक उपाय है । पिछले प्रकरण मे उस पर विचार किया गया है । अब स्वाध्याय को कल्याण का सोपान गिन कर उस पर विचार किया जाता है स्याध्याय के सम्बन्ध मे भगवान् से इस प्रकार प्रश्न पूछा गया है
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मूलपाठ प्रश्न - सज्झाएणं भंते! जीवे किं जणयइ ?
उत्तर - सज्झाएण नाणावर णिज्जं कम्म खवेइ ।
शब्दार्थ
प्रश्न - भगवन् ! स्वाध्याय करने से जीव को क्या लाभ होता है ?
उत्तर - स्वाध्याय करने मे जीव ज्ञानावरणीय आदि कर्मो का क्षय करता है |
व्याख्यान
स्वाध्याय पर विचार करने से पहले यह जान लेना