Book Title: Samyaktva Parakram 02
Author(s): Jawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
Publisher: Jawahar Sahitya Samiti Bhinasar

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Page 299
________________ बीसवां बोल-२५६ अर्थगाभीर्य वाले थोडे अक्षरो को सूत्र कहते हैं। सूत्र, अर्थ की रक्षा करने के लिए ही होता है । प्रत्येक वस्तु पात्र में ही टोक सकती है । अगर साधन या पात्र न हो तो वस्तु का टिकाव नही हो सकता । तिजोरी हो मगर धन न हो तो तिजोरी किस काम की? इसी प्रकार धन हो पर तिजोरी न हो तो धन की रक्षा किस प्रकार हो सकती है ? ठीक इसी तरह अर्थ के अभाव मे सूत्र किस काम का ? और सूत्र न हो तो अर्थ किस काम का ? सूत्र, अर्थ की और अर्थ, सूत्र की रक्षा करता है । सूत्र से ही अर्थ की रक्षा होती है __ और अर्थ होने के कारण ही सूत्र का महत्व है। इस प्रकार सूत्र और अथ दोनो की आवश्यकता है। शरीर हो मगर आत्मा उसमे न हो तो शरीर किस काम का ? क्या मृत शरीर को भी कोई औषध देता है ? इसी प्रकार शरीर-रहित आत्मा को भी दवाई दी जा सकती है ? ससारी जीव का आधार शरीर है और शरीर को स्थिति जीव पर टिकी है। जिस प्रकार जीव और शरीर दोनो की आवश्यकता है, उसी प्रकार सूत्र और अर्थ की भी आवश्यकता है । जैसे गरीर का महत्व उसमे रहने वाले जीव के कारण ही है उसी प्रकार सूत्र का महत्व भी अर्थ होने के ही कारण है । अर्थ के अभाव मे सूत्र व्यर्थ है। भगवान ने कहा है-प्रतिपृच्छना करने से सूत्र और उसके अर्थ की विशुद्धि होती है । घन की रक्षा के लिए तिजोरी की मजबूती और जीव को आश्रय देने के लिए शरीर को स्वस्थता होना आवश्यक समझा जाता है । इसी तरह शास्त्र के कथनानुसार सूत्र

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