________________
१५८ - सम्यक्त्वपराक्रम ( २ )
शब्दार्थ
प्रश्न- भगवन् ! कायोत्सर्ग करने से जीव को क्या लाभ होता है ?
उत्तर - कार्योत्सर्ग करने से भूतकाल के और वर्त्तमानकाल के अतिचारो को प्रायश्चित्त द्वारा विशुद्ध करता है और इस प्रकार शुद्ध हुआ जीव, जैसे सिर का बोझ उतरने से मजदूर सुखी होता है, उसी प्रकार अतिचार रूपी वोझ उतर जाने से उत्तम धर्मध्यान मे लीन होता हुआ, इहलोक और परलोक में सुखी होता है और अनुक्रम से मोक्ष - लाभ करता है ।
व्याख्यान
कायोत्सर्ग करने से जीव को क्या लाभ होता है, इस प्रश्न के उत्तर मे ऊपर भगवान् ने जो फरमाया है, उस पर विचार करने से पहले यह देख लेना आवश्यक है कि कायोमर्ग का अर्थ क्या है ? टीकाकार ' कायोत्सर्ग' का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखते हैं कि काय का उत्सर्ग अर्थात् त्याग करना कायोत्सर्ग है । काय के उत्सर्ग या त्याग करने का अर्थ यह नही है कि शस्त्र के आघात से, विषपान से या अग्नि- पानी मे कूद करके मर जाना और इस प्रकार शरीर का त्याग कर देना । किन्तु शास्त्र मे कही हुई रीति के अनुसार काय का त्याग करना ही कायोत्सर्ग है । कायो - त्सर्ग के विषय मे शास्त्र में खूब स्पष्टीकरण किया गया हैं । उन सब स्पष्टीकरणो को स्पष्ट रूप से कहने का अभी समय नही है, फिर भी यहा थोड़ा-सा विवेचन करना