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१७८-सम्यक्त्वपराक्रम (२) विचार तक नहीं करता। आम खाने का त्याग करने वाला आम के भाव-ताव की चिन्ता क्यो करेगा ? आम के प्रति । उसकी कोई रुचि या इच्छा ही नहीं होती । इस प्रकार प्रत्याख्यान करने वाले की इच्छा का निरोध हो जाता है। ससार के सारे काटे बीने नही जा सकते, परन्तु पैर मे मजबूत जूता पहनने वाले के लिए तो मानो जगत् के काटे रहते ही नही। इसी प्रकार ससार के समस्त पदाथ नष्ट नही हो । सकते, लेकिन प्रत्याख्यान करने वाले की इच्छा, प्रत्याख्यान की हुई वस्तु की ओर जाती ही नही है। इस प्रकार प्रत्याख्यान द्वारा इच्छा का निरोध होता है ।
कितनेक लोगो का कहना है कि प्रत्याख्यान में क्या रखा है। किन्तु प्रत्याख्यान में कुछ रखा है या नही यह बात गाधीजी से पूछो तो मालूम हो जायेगी । गाधीजी ने प्रत्याख्यान न किया होता तो वह महात्मा बन सकते या नही, यह एक प्रश्न है । प्रत्याख्यान लेने के कारण ही वह बीमारी के अवसर पर भी मास-मदिरा वगैरह के पाप से बच सके थे।
___ इस प्रकार प्रत्याख्यान से इच्छा का निरोध होता है। इच्छा के निरोध से आत्मा को अत्यन्त लाभ पहुचता है । प्रत्याख्यान करने मे भी विवेक की अत्यन्त आवश्यकता है । ऐसा नही चाहिए कि बकरी निकालने मे ऊट घुस जाये ! अर्थात् छोटे पापो का तो प्रत्याख्यान किया जाये और उनके बदले वडे पाप अपनाये जाये । अतएव प्रत्याख्यान करते समय विवेक रखना चाहिए । अविवेकपूर्वक प्रत्याख्यान करने से लाभ के बदले हानि अधिक होती है। वही प्रत्याख्यान प्रगस्त है जो इच्छा का निरोध करने के लिए किया जाता हो।