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चौदहवां बोल-१६३
आज तुम्हारे समक्ष ऐसा उच्च आदर्श उपस्थित है फिर भी तुम्हारे हृदय मे कैसी कायरता प्रा गई है। जिसमे कायरता होती है वह न तो किसी भी नियम का पालन कर सकता है और न किसी निश्चय पर दृढ ही रह सकता है। कायरों के हाथ मे न कुछ रहता है और न रह ही सकता है । कायरो के हाथ मे व्यावहारिक सत्ता भी तो नही रह सकती ! आज स्वराज्य की माग की जाती है पर कायरो के हाथ मे कौन स्वराज्य देगा और कौन रहने देगा ? इसी प्रकार भगवान की भक्ति भी कायरो मे और गुलामो मे किस प्रकार टिक सकती है ?
आजकल लोग अपनी सन्तान मे जान-बूझकर कायरता भरते हैं। बालको को बचपन में ही इस प्रकार दबाया जाता है कि वे दबते ही रहे । मगर लोग यह नही देखते कि उनकी इस करतूत के कारण बालक कितने कायर बन रहे हैं ! इसी प्रकार पुरुष, स्त्रियो को दबाते हैं और कायर बनाते है । माताओ मे कायरता होगी तो बालको में कायरता आना स्वाभाविक है । जिस माता-पिता मे वीरता होती है, उन्ही की सन्तान वीर बनती है । सिंहनी ही सिंह को जन्म देती है । इसी प्रकार वीर माता वीर पुत्र को जन्म देती है और कायर माता कायर सन्तान उत्पन्न करती है।
__ कायरता के साथ ही साथ नागरिक जनों में ऐसे कुसस्कार घर कर बैठे हैं कि उनकी बात न पूछिए | जैसे कुसस्कार नगरो मे नजर आते हैं बसे ग्रामो मे क्वचित् ही दृष्टिगोचर हो सकते हैं। ग्रामो मे जैसी पवित्रता दिखाई देती है वैसी पवित्रता शहरो में शायद ही कही दीख पड़े ।