________________
नवां बोल-११३
कवि कहता है-“हे राजहंस ! दूध और पानी को अलगअलग करने के अवसर पर भी यदि तू चुप बैठा रहेगा तो तेरे कुलव्रत का पालन कौन करेगा ?
कवि की इस उक्ति पर विचार करके आपको समझना चाहिए कि यद्यपि धर्म सिर्फ मेरा ही नही- सब का है, फिर भी सब लोग धर्म करे या न करे, किन्तु मुझे तो धर्म का आचरण करने के लिए सदा तैयार रहना ही चाहिए । फारसी की एक कहावत के अनुसार मनुष्य इस कुदरत का वादगाह है । ऐसी स्थिति मे मनुष्य का कोई कार्य अनुचित क्यो होना चाहिए ?
भीष्म कहते हैं-हे युधिष्ठिर । तुम्हारे राज्य मे इस प्रकार प्रजा को निर्बल वनाने वाली शिक्षा नहीं होनी चाहिए। प्रजा को ऐसी शिक्षा मिलनी चाहिए कि वह राजा के विरुद्ध भी पुकार कर सके और राजा, प्रजा को पुकार सुनने के लिए तैयार रहे । इसी प्रकार सत्ता का दुरुपयोग नही वरन् सदुपयोग होना चाहिए । राज्य मे अगर इतनासा सुधार भी न हुआ तो तुम मे और दुर्योधन में क्या अन्तर रहेगा ?
भीष्म के इस कथन पर आप भी विचार करो। भगवान् महावीर ने जो शिक्षा दी है, वह कायरता धारण करने के लिए नही वरन् वीरता प्रकट करने के लिए है। आप इस शिक्षा का उलटा अर्थ करके कायरता मत आने दो । वस्तु का विपरीत उपयोग करके कायर मत बनो । किसी वीर पुरुष के हाथ मे तलवार होती है तो वह अपनी भी