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अनुक्रम
आकर उन्हें समझाना और भूमि देकर दिदा करना, जिनको आहारयात्रा और जनता द्वारा उपहार दिया जाना, कौर राणीवर्णं ।
श्रेयांसा
तीसरी सन्धि
जिनका पुरिमतालपुर में प्रवेश, उद्यानका वर्णन, शुक्लध्यान और केवलज्ञानकी उत्पत्ति, प्रातिहायका उल्लेख समवशरणकी रचना, इन्द्रका आगमन, देवनिकायोंका उल्लेख ऐरावतका वर्णन, इन्द्र के वैभवका वर्णन, देवोंका यान छोड़कर समवशरण में प्रवेश, इन्द्र द्वारा जिनकी स्तुति, राजा पभसेनका समयशरण में आना, सामूहिक दीक्षा और दिव्यध्वनि सात तत्वोंका निकरण, जिनका विहार और भरतकी विजययात्रा ।
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भरतका जिनसे पाहुबलिको सिद्धिन मिलने का भरत द्वारा क्षमा-याचना और बाहुबलिको उपत्ति ।
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४४-६०
चौथी सन्धि
६०-७६
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भरतके चक्रका अयोध्या में प्रवेश, मन्त्रियों द्वारा इसके कारणका निवेदन दूतका बाहुबलिये निवेदन उत्तेजनापूर्ण विवाद, लौटकर दूतों द्वारा प्रतिवेदन, भरत द्वारा युद्धकी घोषणा, argefast सैनिक तैयारी, मन्त्रियों द्वारा बीचबचाव और द्वन्द्व युद्धका प्रस्ताव, दृष्टियुद्ध में भरतकी हार, जलयुद्ध और उसमें भरत की हार, मल्लयुद्ध में भरतका हारना, भरतका बाहुबलियर चक्र फेंकना, चक्रका बाहुबलिके वशमें या जाना, कुमारका निर्वेद कुमार द्वारा दीक्षा ग्रहण, उनकी साधनाका वर्णन,
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भरतका कैलासपर ऋषभजिनकी वन्दना के
लिए जाना,
कारण पूछता, केवलज्ञानको