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बममा चापाला
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· विश्वासो फलदायकः '-विश्वास कहो या अटल निश्चय मीठा फल अवश्य देता है। इसका एक कारण है। आत्मामें अनंत शक्ति है । उस शक्ति पर विश्वास यदि लाया जाय, तो उसका प्रकाशमान होना अवश्यम्भावी है। जैसा मन होगा वैसा ही होगा कार्य । मनका अटल निश्चय सुमेरुको भी हिला देता है। यमपालका आत्मविश्वाम ऐसा ही चमत्कारी सिद्ध हुआ । सिपाहियोंने राजकुमारके साथ उसके हाथ-पैर बांध कर समुद्रमें फेंक दिया । किन्तु इस पर भी वे अपने पुण्य प्रतापसे जीवित निकल आये । लोगोंने उनको जीवित देखकर निश्चय किया कि 'यमपाल सचमुच धर्मात्मा है । यह उसके धर्मका ही प्रभाव है कि काल जैसे गंभीर समुद्रसे बचकर वह जीवित उभर आया ! चाण्डाल होकर भी उसने धर्मके लिये प्राणोंकी बाजी लगा दी । यमपाल सचमुच देवता है। आओ, उसका हार्दिक स्वागत करें।' और निस्सन्देह लोगोंने उसका अद्भुत स्वागत किया।
राजाने जब यह बात सुनी तो उसे भी कुछ होश आया । प्रजा एक स्वरमे जिसका आदर-सत्कार कर रही है, वह उपेक्षणीय कैसे ? राजाने अब विचार किया कि 'यमपाल चाण्डाल है नो क्या ? दया धर्म उसकी नस-नसमें समाया हुआ है। दया करनेसे ही मनुष्य जगत्पूज्य बनता है और हिंसा करनेसे वही लोक-निन्द्य पापी कहलाता है। मुझे भी यमपालका समुचित सत्कार करना चाहिये । वह धर्मात्मा श्रावक है।'