________________
Munion
.hinnih.111.11.HIN
D u0HUBHANDARLAHALDILI
चिलाति मार। [१७१ नागकुमारने एक वेश्याकी कन्यासे विवाह किया था। तुम्हारी कन्या तो कुलीन और गुणवती है, तुम निश्चिन्त होकर मेरा प्रस्ताव स्वीकार करो। विजातीयविवाह धर्म और समाज दोनोंके लिये हितकर है। यह सम्बन्ध क्या भीलोंके जीवनको उन्नत नहीं बनायेगा !'
सरदार बोला-'राजन् ! आपका आग्रह विशेष है तो एक शर्तपर मैं अपनी कन्या तुम्हें प्रदान करसक्ता हूं।'
उपश्रे०- बताओ, वह शर्त ।' | सरदार-शर्त यही कि तिलकाका पुत्र ही मगधका सम्राट होगा!' उपश्रे०-'मंजूर, यही होगा।'
मांगलिक तिथिको उपश्रेणिकका ब्याह तिलकाके साथ होगया। भील-सेनाके साथ नववधूको लेकर राजा राजगृह पहुंचे । खुब आनन्दोत्सव मनाया। तिलकाके साथ वह भोग भोगने में तल्लीन होगये। तिलकाको राजप्रेमकी निशानी भी मिल गई। उसने अपने पुत्रका नाम चिलाति रक्खा ! युवराज भी वही हुआ। उसके सौतेले दुसरे भाई श्रेणिकको निर्वासित कर दिया गया ।
राजगृहके चौराहेपर अपार जनसमूह एकत्रित था । एक ऊंचेसे मंचपर राजगृहके प्रमुख पुरुषाप्रणी और पुराने मंत्री बैठे हुये थे। एक युवक जिसके मुखमण्डलपर प्रतिमा नृत्य कर रही थी, जनताको सम्बोधित करके कह रहा था-" भाइयो ! राजाका स्थान पिताके तुल्य है। पिताका कर्तव्य है कि वह अपने आश्रय रहनेवाले बालक बालिका, पुरुष स्त्री सबकी रक्षा और समृद्धिका ध्यान रक्खे। उसी