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पतितोद्धारक जैनधर्म ।
अपनी एक कामना पूरी करवाना चाहती हूं। क्या तुम पूरी कर
सक्के हो ?"
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क्यों नहीं ! तुम्हारा यह दास दुनियांकी सब चीजें लाकर तुम्हारे चरणोंपर रख सकता है । निशक होकर अपनी इच्छा बतलाओ !"
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• सचमुच 2 "
"हां, सचमुच ! "
44 अच्छा; तो यहाकी परमसुन्दरी रानी - तुम्हारी भावज जो बहुमूल्य गहने पहनती हैं, एकबार उन गहनोंको पहनने की इच्छा मुझे बहुत दिनोंसे है । क्या उन्हे लाकर मुझे दोगे ?"
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भवश्य !
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बेमनाने कहने को तो 'अवश्य' कह दिया, परन्तु वह मांके समान अपनी भावजसे यह बात कैसे कहें ? हिम्मत न हुई ! वह अनमने होकर एक पलंगपर जा पड़े ! भोजनकी बेला हुई, सबने स्वाया; परन्तु वेमना न गये। नौकरोंने ढूँढा । फिर भी वेमना नहीं मिले। आखिर भावज स्वयं ढूँढने गई उन्हें मिल गये । मर्यान्वित हो उन्होंने कहा:
" वेमना ! तुम क्या कर रहे हो ? सबने भोजन कर लिया और तुम यहीं पड़े हो ? चलो, भोजन करो !"
" मुझे आज भूख नहीं है
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क्यों नहीं है ?
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" ऐसे ही ! "
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बताओ तो सही ! "
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