________________
प्रकृतिके अंचलसे !
" ऊँचा उदार पावन, सुख-शांति पूर्ण प्यारा; यह धर्म-वृक्ष सबका, निजका नहीं तुम्हारा 1 रोको न तुम किसीको, छाया में बैठने दो: कुल- जाति कोई भी हो, संताप मेंटने दो !!" कथायें :
--
१ - उपाली ।
२- वेमना
२- चामेक वेश्या ।
४
|
५- कबीर ।