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चिलाती पुत्र। _____ [१३७
[२] चिलाती पुत्र
'औं भौं' कर रोते हुये पड़ोसीके लड़के ने सेठ धनवाहसे भाकर चिलातीपुत्रकी शिकायत की। लड़के के मुंहसे खून निकल रहा था
और हाथके कड़े गायब थे। लड़केकी सूरत देखते ही सेठजी चिलातीकी नटखटीको ताड़ गये थे। उसकी यह पहली शिकायत नहीं थी। ऐसी नटखटी देना उसका स्वभाव होगया था। सेठजी भी परेशान आरहे थे। आज वह उसकी नटस्वटी सहन न कर सके। लड़केको पुचकार कर उन्होंने शान्त किया और चिलातीपुत्रको बुलाया । सेठजी कुछ कहें ही कि इसके पहले उसने लड़के के कड़े निकालकर कहा-'कड़े तो मैंने खेलमें लेलिये थे, यह गिर पड़े, चोट लग गई, सो भागे चले आये।' ___ गिर पड़ा था ?- अ, तूने मुझे मारा नहीं ?' लड़का बोला।
सेठजीने आखें लाल पीली करके कहा-'बस, बहुत हुआ चिलातीपुत्र ! अब तुम मेरे यहां नहीं रह सक्ते।'
___ उद्दण्ड चिलातीपुत्रने इसकी जरा भी परवाह नहीं की। उसने मनमें कहा- राजगृहमें क्या तू ही अकेला सेठ है ? मैं नौकरी करना चाहूंगा तो उसकी कभी नहीं ।' किन्तु चिलातीपुत्रने नौकरी नहीं की। वह नटखट, बदमाश और हरामी था। सेठ धनवाहके
x ‘सामाषिकना प्रयोगो' पृ. २६ और 'धर्मकपालो' पृ. १५६ पर वर्णित कथामोंके माधारसे ।