________________
HOURNE
USTRIABASINIRHUDHendsROIDhanaummonsIUDURASH
.
२३४] पतितोदारक जैनधर्म । किन्तु रूढिके नामपर व्यभिचारको उत्तेजना देना धर्म नहीं होसका। भब समझे कादिका हानिकारक रूप ।' ___कर्ण-'प्रभू ! मैं खूब समझा। मेरा शरीर आपकी व्याख्याका प्रत्यक्ष प्रमाण है । मैं कुंवारी कन्याके गर्भसे जन्मा हूं। महाराज ! मुझे साधु दीक्षा प्रदान कर इस शरीरको पवित्र बनाने दीजिये।'
आचार्य दमवरने 'कल्याणमस्तु' कहकर कर्णको मुनि दीक्षा प्रदान की । 'जे कम्मे सूरा ते धम्मे सूरा' की वीरोक्तिको कर्णने मूर्तिमान बना दिया ! कुरुक्षेत्रके रणाङ्गणमें उन्होंने वैरियोंके दांत खट्टे किये थे, अब वे विधि विधानोंके पाखंडको जड़मलसे मेंटने के लिये ज्ञान तलवार लेकर जुझ पड़े । कर्मवीर ही धर्मवीर होने हैं। ___कर्णने जिस स्थानपर अपने वस्त्राभूषण उतारकर फेंके थे, उस रोजसे वह स्थान 'कर्ण सुवर्ण' के नामसे प्रसिद्ध होगया। सुनिवर कर्णकी स्मृतिको वह अपने अङमें छिपाये था।
महात्मा कर्णने खूब तप तपा और अपने आत्माका ऐसा विकास किया कि चहुंओर उनकी प्रसिद्धि होगई। उनका साधु. जीवन मात्मोद्धारके साथ-साथ लोकोद्वारको लिए हुए था। उन्होंने अपने निश्चय के अनुसार लोकमें सत्यका ज्ञान फैलाया और अन्तमें समाधिमरण द्वारा वह सद्गतिको प्राप्त हुये।