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पतितोद्धारक जैनधर्म ।
[ ३ ]
माली सोमदत्त और अंजनचोर !*
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(१.)
राजगृहमें सोमदत्त नामका माली रहता था, और उसी नगरमे जिनदत्त नामक सेठ भी रहने थे। सेठ जिनदत्त जैनी थे, वह प्रातः काल उठते ही जिन मंदिरोंमें पूजा करने जाते थे । सोमदत्त मालीने देखा कि सेठ जिनदत्त एक चील जसे यंत्रमें बैठे-बैठे घुर घुर कर रहे हैं। थोड़ी ही देर में वह चील जैसा यंत्र सरे से ऊपरको उड़ गया। मालीने कहा- 'अरे ! यह तो वायुयान है ।' और वह उसकी ओर निहारता रह गया !
सोमदत्त सेठजीको प्रतिदिन उस विमानमें बैठकर उड़ते देखकर आश्चर्यमें पड़ गया । वह सोचने लगा कि 'आखिर सेठजीको ऐसा क्या काम है जो सबेरे ही सबेरे विमान में बैठकर रोजमर्रा कहीं जाते हैं ? धर्मवेलाके समय उनका इस तरह रोजाना जाना रहस्यसे खाली नहीं है। आनेदो आज उन्हें; मैं उनसे पूछूंगा !"
सोमदत्त यह विचार ही रहा था कि सरे-से सेठजीका विमान उसके सामने आ खड़ा हुआ। मालीने झटसे जाकर सेठजीके पैर पकड़ लिये। सेठजी बेचारे बड़े असमंजस में पड़े, वोले- 'आखिर बात भी कुछ है !"
सोमवत्तने उत्तर दिया- 'आप क्षमा करें तो एक बात पूछूं।" सेठने कहा- 'पूछं, तुझे क्या पूछना है ?'
* माराधना कथाकोषकी मूळ कथाके माधारसे ।