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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/22 सकता है। यद्यपि हमें उनके अंध दार्शनिकीकरण में उपस्थित नैतिक तथ्यों से किसी पूर्ण नैतिक दर्शन के निर्माण का कोई वास्तविक आधार नहीं दिखाई देता है, फिर भी ईश्वरीय, बौद्धिक एवं प्राकृतिक-इन तीन पक्षों से युक्त एक वस्तुनिष्ठ नैतिक नियम के प्रति उनकी अडिग आस्था है। प्रथमतः वे यह उपदेश देते हैं कि मनुष्यों को उस ईश्वरीय नियम का पालन करना चाहिए, जो सभी मानवीय नियमों का आधार है। ईश्वरीय नियम 'न्याय' की सर्वोपरिता स्थापित करते हैं, जिसके अधीन देवगण भी हैं। दूसरे वे यह भी निर्देश देते हैं कि मनुष्यों को विवेक' (बुद्धि) से पूर्णतया अनुशासित होना चाहिए। यद्यपि यह विवेकशक्ति (बुद्धि) सभी मनुष्यों में उपस्थित है, तो भी अनेक व्यक्ति ऐन्द्रिक प्रताड़ना के शिकार हो जाते हैं और निम्नतम क्षुधाओं (वासनाओं) की संतुष्टि में ही सुख मान लेते हैं। पुनः वे यह कहकर कि 'विवेक' समझपूर्वक प्रकृति के अनुरूप आचरण करना है, नैतिक नियम में ईश्वरीय और बौद्धिक पक्षों के साथ साथ तीसरा प्राकृतिक पक्ष भी स्वीकार कर लेते है। हेराक्लाइटस के नैतिक नियम के उपर्युक्त दृष्टिकोण में हमें स्टोइकवादी तत्त्व की पूर्व - अवधारणा स्पष्टतया परिलक्षित होती है। युद्ध एवं संघर्षों से परिपूर्ण इस विश्व में पूर्ण मंगलकारी निष्पक्ष एवं न्यायी ईश्वर की कृपा के उनके आशावादी दृष्टिकोण में हम विश्व पूर्णता के विकसित प्रमाण की वह सरल पूर्व अवधारणा पाते हैं, जिसका वाद में स्टोइकों ने निर्माण किया था। उनके इस आशावादी दृष्टिकोण में आभासी न्याय (असमानता) केवल मानव बुद्धि सापेक्ष है, हम यह भी मान सकते हैं कि ईश्वरीय आदेश के प्रति आत्मसमर्पण में हेराक्लाइट्स उस आत्म तुष्टि को प्राप्त करते हैं, जिसे उन्होंने परम शुभ बताया है। परवर्ती स्टोइक विचारकों ने भी ईश्वरीय आदेशों के प्रति प्रसन्नता पूर्वक मौन स्वीकृति के लिए इसी पद का उपयोग किया है। (यहां केवल भावानुवाद ही किया गया है।) डेमोक्रिट्स (460 ई.पू. - 370 ई.पू.)
जिस प्रकार हेराक्लाइट्स स्टोइकवाद से सम्बंधित है, ठीक उसी प्रकार डे माक्रिट्स का दर्शन पूर्णतया इपीक्यूसियनवाद से सम्बंधित है। सामान्यतया हेमाक्रिटस को सुकरात के पूर्ववर्ती विचारकों में वर्गीकृत किया गया है, यह ठीक भी है, क्योंकि उनके दर्शन में सुकरात का प्रभाव परिलक्षित नहीं होता है, जबकि ग्रीस के नैतिक दर्शन के बाद के सभी मुख्य सम्प्रदायों का प्रस्थान बिंदु सुकरात की शिक्षाएं हैं। डेमाक्रिट्स सुकरात के समकालीन हैं, यद्यपि