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मूकमाटी-मीमांसा :: 65 करते हुए लिखा है कि पाश्चात्य आक्रमणकारी प्रवृत्ति के हैं, जब कि भारतीय सुख और शान्ति को चाहने वाले हैं। भारत की संस्कृति सन्त संस्कृति है । भले ही हमारे देवता शंकर-शूलधारी हों, लेकिन वे पूजा के फूलों तक को नहीं छूते हैं।
पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव के कारण भारत में स्वार्थलिप्सा बढ़ गई है। दोनों संस्कृतियों के बीच का अन्तर स्पष्ट करते. हुए आप लिखते हैं :
" 'ही' पश्चिमी-सभ्यता है
_ 'भी' है भारतीय संस्कृति, भाग्य-विधाता।" (पृ. १७३) 'ही' एकान्त सूचक है, 'भी' समूह सूचक । अतः आचार्यजी 'भी' संस्कृतिवाली भारतीय संस्कृति को लोकतन्त्र की रीढ़ मानते हैं। लेकिन भारत के वर्तमान गणतन्त्र में समूह कल्याण का नामोनिशान नहीं रहा है । आचार्यजी के शब्दों में आज का 'गणतन्त्र' 'धनतन्त्र' बन गया है । परिणामतः अपराधी को पीटने के काम आनेवाली लकड़ी आज निरपराध को ही पीटती रहती है।
यहाँ 'वसुधैव कुटुम्बकम्' वाला मन्त्र आज विकृत अर्थों में अपनाया जा रहा है। वर्तमान युग की स्वार्थमयता एवं अर्थकेन्द्रितता को आपने सटीक शब्दों में अभिव्यक्त किया है । लेखनी कहती है :
"भारत में दर्शन स्वारथ का होता है।/हाँ-हाँ! इतना अवश्य परिवर्तन हुआ है/कि/"वसुधैव कुटुम्बकम्'. इसका आधुनिकीकरण हुआ है/वसु यानी धन-द्रव्य धा यानी धारण करना/आज/धन ही कुटुम्ब बन गया है
धन ही मुकुट बन गया है जीवन का।” (पृ. ८२) पूँजीवादी प्रवृत्ति के कारण ही देश में अशान्ति फैल गई है :
“अब तो"/अस्त्रों, शस्त्रों, वस्त्रों/और कृपाणों पर भी 'दया-धर्म का मूल है'/लिखा मिलता है।/किन्तु, ...कहाँ तक कहें अब !/धर्म का झण्डा भी/डण्डा बन जाता है
शास्त्र शस्त्र बन जाता है/अवसर पाकर।" (पृ. ७३) कितना सटीक व्यंग्य है यह ! वर्तमान काल में धन का बोलबाला है, पद का बोलबाला है । पद के पीछे भागते हुए दूसरों को पद दलित करना, विपदाओं का निर्माण करना मनुष्य का धर्म बन गया है । धन ने मनुष्य को कितना स्वार्थी बना दिया है:
"वेतन वाले वतन की ओर/कम ध्यान दे पाते हैं।
और/चेतन वाले तन की ओर/कब ध्यान दे पाते हैं ?" (पृ. १२३) खटमल और मच्छर के संवाद में धनवानों पर करारा व्यंग्य किया है। ज्वरग्रस्त सेठ के रक्त के स्वाद को लेकर धनिकों पर व्यंग्य करता हुआ मच्छर कहता है :
"अरे, धनिकों का धर्म दमदार होता है,/उनकी कृपा कृपणता पर होती है, उनके मिलन से कुछ मिलता नहीं,/काकतालीय-न्याय से कुछ मिल भी जाय/वह मिलन लवण-मिश्रित होता है