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मूकमाटी-मीमांसा :: 325
है । वह भली मानी जाती है ।
शब्दों की नई व्युत्पति
रचनाकार ने अनेक शब्दों के कथ्यगत भाव को व्यक्त करने के लिए अभिनव व्युत्पत्ति की है । यह व्युत्पत्ति दार्शनिक तथा आध्यात्मिक अर्थों को अभिव्यंजित करने के लिए की गई है। सामान्य रूप से व्युत्पत्ति में प्रातिपदिक को आधार माना जाता है । व्युत्पत्ति - प्रक्रिया द्वारा व्युत्पन्न शब्द प्रकृति में प्रत्यय लगाकर बनता है । प्रातिपदिक मूलांश कहलाता है । इसे 'धातु' भी कहते हैं, जो व्युत्पन्न प्रत्येक शब्द में मूल रूप से विद्यमान रहती है, यथा :
" हरिता हरी वह किससे ? / हरि की हरिता फिर किस काम की रही ?" (पृ. १७९)
'हरिता' शब्द हरा + इता प्रक्रिया से व्युत्पन्न हुआ है । 'हरिता' का अर्थ है हरापन। दूसरे 'हरिता' शब्द की व्युत्पत्ति हरि+ता प्रक्रिया से हुई है। 'हरिता' का अर्थ हुआ प्रभुपना ।
" त्राहि मां ! त्राहि मां !! त्राहि मां !!! / यों चिल्लाता हुआ
राक्षस की ध्वनि में रो पड़ा / तभी उसका नाम / रावण पड़ा ।" (पृ. ९८)
'रावण' शब्द 'रव' शब्द मूल से व्युत्पन्न हुआ है । रव का अर्थ है आवाज़ करना । रचनाकार ने रक्षार्थ रुदन को रावण माना है। यह अभिनव अर्थ है । यह शब्द की नई व्युत्पत्ति है, विलोमता नहीं ।
''न अरि' नारी / अथवा / ये आरी नहीं हैं / सोनारी ।” (पृ. २०२ )
न+आरी=नारी नई व्युत्पत्ति है । 'नारी' का अर्थ हुआ अहिंसक ।
"जो / 'मह' यानी मंगलमय माहौल,
महोत्सव जीवन में लाती है / 'महिला' कहलाती वह ।” (पृ. २०२ )
उक्त व्युत्पत्ति के अनुसार ‘महिला' कल्याणदात्री है । वस्तुत: 'महिला' शब्द में 'मघ्' प्रातिपदिक है, जैसे मघराष्ट्रमहाराष्ट्र, वैसे ही मघला - मघिला । मघवा शब्द इन्द्र के लिए आता है । अतः मघ का अर्थ है शक्ति, ऐश्वर्य । महिला शक्तिमती है । वह ललना या रमणी नहीं है ।
" जो अव यानी / 'अवगम' - ज्ञानज्योति लाती है, तिमिर - तामसता मिटाकर / जीवन को जागृत करती है 'अबला' कहलाती है वह !... / 'अब' यानी
आगत- वर्तमान में लाती है / अबला कहलाती है वह !
बला यानी समस्या संकट है / न बला "सो अबला !” (पृ. २०३ )
रचनाकार ने 'अबला' शब्द की उक्त तीन प्रकार की व्युत्पत्तियाँ की हैं। तीनों का अपना अर्थ है। नारी के गौरव तथा मर्यादा को मण्डित करती हैं ये व्युत्पत्तियाँ । अबला का अर्थ शक्तिहीना शृंगारप्रिय पुरुष समाज की देन है । मातृसत्तात्मक समाज में नारी ज्ञान, शक्ति तथा ऊर्जा का स्रोत मानी गई है। 'अव' का अर्थ प्रकाश है । अवा का अर्थ अग्नि है । अभ शब्द मूल से अल्पप्राणीकरण द्वारा अव शब्द मूल व्युत्पन्न हुआ है । आभा शब्द भी 'अभ' से व्युत्पन्न है ।