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# विषयानुक्रमणिका ॥
विषय
श्लोक संख्या
पृष्ठ संख्या
१-२७
१-१०
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१४-११
* पीठिका
* मंगलाचरण * रत्नत्रय की सिद्धि के हेतु एवं आराधना का लक्षण * पाँच हेतुों के लक्षण* आराधना के भेद - दर्शनाराधना के साथ ज्ञानाराधना की प्रतिपत्ति का क्रम * मिथ्यादृष्टि जीव ज्ञान का आराधक नहीं होता * चारित्राराधना के साथ तपाराधना की प्रतिपत्ति का क्रम . अव्रती का तप गुणकारी नहीं होता * संक्षेप से आराधना के अन्य प्रकार * चारित्राराधना में दर्शन एवं ज्ञान आराधना होने का कारण * चारित्राराधना में तपाराधना का अन्तर्भाव * आराधना के भेदों का उपसंहार एवं सार * आराधना के फल का अतिशय * मरण के पूर्व आराधनाओं का प्रयास क्यों?
* शंका के अनुरूप समाधान १. बाल-मरणाधिकार
* मरण के सत्तरह भेद । * संक्षेप में मरण के पाँच भेद * पण्डितमरण के भेद
* सम्यक्त्वाराधना २. बाल-बाल मरणाधिकार
. सम्यक्त्व बिना मात्र बाह्य चारित्र से आराधक नहीं
मिथ्यात्व का लक्षण, भेद और प्रभाव ३. भक्तप्रत्याख्यान मरण 'अर्ह' आदि अधिकार
* भक्तप्रत्याख्यान मरण 'अर्ह' आदि अधिकार . भक्तप्रत्याख्यानमरण के भेद और स्वामी
२०
२२-२७ २८-५७
१२-२६
२८
२९-३१ ३२-३३ ३४-५७ ५८-६८
२६-२८
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५९-६८ ६९-२१०
६९
२९-८४