Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ ( च ) चाणक्य जैन ब्राह्मण था उसने चन्द्रगुप्त को बौद्ध से जैन बनाया । गच्छ मत प्रबन्ध में लिखा है कि पाणीनिय, वर रुचि, कात्यायन, व्याहडी ये जैन ब्राह्मण थे । बगभट्ट जो महांगा था उसने गवालियर के राजा आमदेव को व शताब्दी में जैन बनाया था इस वक्त भी राजस्थान के राजाओं के गुरु तरीके महात्मा माने जाते हैं उनके सम्मान के लिये जागीरें प्राचीन काल से चली आती हैं । 1 इस जाति को मालवा मेवाड में गुरुजी महात्मा मारवाड में गुराँसा कुलगुरु, गुजरात में गोरजी कहते हैं । ये गृहस्थ होते हैं । यति नहीं । उदयपुर के महाराणा व देवगढ के रावतजी तथा बडे पुरोहितों के गुरु तरीके सण्डेराव वाले इन्द्रचन्द्रजी महात्मा व उनके पूर्व पुरूषों से गुरु माने जाते हैं । मारवाड में पोहकरण, निमाज, खरवा, भादराजा रायपुर प्रादि राजाओं के भी गुरु महात्मा ही है । उदयपुर में सिरोही में राजगुरुद्वारों के तौर पर पोशाकें हैं व गुरुजी -. को भट्टारक कहते हैं जिनका राजसी सन्मान होता है। हृदयपुर में श्री प्रताप राजेन्द्रसूरिजी भट्टारक है । मालवा में रतलाम सीतामऊ के राजगुरु निर्भय सिंहजी तेजसिंहजी हैं। झाबुआ, कोरी, प्रांबासुखडा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120