Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 20
________________ xx 4. ७७ ७७ 4 (३) ७६ भवि भाव देरासर ५७ ६६ जिनवर पूजा संवाद ७३ ८० हे नाथ मोरी नैया ५७ ६७ समरो न अमरा भई ७४ १. राजुल विवाह ५८ ६८ पेटू प्रार्थना ८२ सिद्धाचल ना वासी ६१ ६६ समय रो कर्तव्य ७६ ८३ जनारु जाय के जीवन ६२ १०० वह विरला संसार ७६ ४ वासृपूज्य विलासी ६३ १०१ श्रावक जन तो तेने ८५ माता मरुदेवी ना नन्द ६३ १०२ अब हम अमर भये ८६ महावीर स्वामी हो ६४ १०३ कहूं कर जोर जोर ७८ ८७ धर्म के प्रचार में १४ १०४ एकत्व भावना ७८ ८८ तेरे पूजन को भगवान ६५ १०५ नमस्कार मंत्र ८९ ध्यायो ध्यायो नाम ६ १०६ उवसग्गहर स्तोत्र ७६ १० जय अन्तर्यामी ६७ १०७ भक्तामर स्तोत्र ७६ ११ जय जय जिनराज ६७ १०८ पार्श्वनाथ स्तोत्र ८५ ६० कृषक सम्बाद ८ १०६ जैन धमशाला में लिखे १३ मंवाद माता धारणी ६६ हुए. दोहे श्लोकादि ८७ १४ विद्या संवाद ७० ११० रत्नाकर पच्चीसी ६१ ६५ जुआ मंवाद ७१ १११ अरे मन छन में ही हुई 0 नोट-पुस्तक में भजन मंवाद आदि एकत्रित करने में विद्यार्थी मनोहेरलाल धूपिया ने जो दिलचस्पी ली है वह विशेष सराहनीय है । -फतहचन्द महात्मा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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