Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 97
________________ ममय ग करतब ( चतावणी) यो दिन ऊगे ने गत पडे ई में सभी वर्ण वगडे ।। कणी वगत तो हया खडा कणी वगत में पान झडे । एक उतारू डेरा देव ले खडिया ने एक खडे ॥ १ ॥ कठो उगाड्या जड्या कमाड्या कठी उगाड्या परा जडे । कठी काठ री करे खाटल्यां घोड्यां तोरण कठी घडे ॥२॥ कठीक बाले रोय रीख ने कठीक भावे जान चढे । घोडी एक अनेक चढाका चढ उतरे ने उतर चढे । यो तो हाट वाट रो मेलो मिल विछडे ने विछड मले । एक जश्यो नी रेवे कोई शगत सबां ने भांजगडे ॥ ४॥ कोई नवो वियो नी वेवे वठी छपे ने अठी कडे । अठी वठी रा वठी अठी रा राई घटे ने तली बढे ॥ ५ ॥ जमा होय तो खरच करे ने मूल होय तो व्याज चढे । हीरालाल' हाल में रेणो एक तोल ने दो पनडे ॥ ६ ॥ वह विरला संसार वह विरला संसार नेह निर्धन से पाले । वह विरला संसार लाभ अरु खर्च संभाले ॥ बह विरला संसार दान जो करे प्रदीठो । वह विरला संसार जीभ से बोले मीठो ॥ प्रापो मारे प्रभु भजे तन मन तजे विकार । अवगुण ऊपर गुण करे वह विरला संसार ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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