Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 95
________________ (७४) मनोहर- लाडी वाडी गाडी दमडा मोटर मौज उडावे । खान पान गुलतान बने ऐसी इच्छा पावे ॥ मेरे बन्धु दमडा बडा कलदार है। भूपेन्द्र- दास बनो नहीं दमडे के तुमलो लक्ष्मी नो लावो । इस दुनिया में दुर्लभ नरभव निष्फल मत गमवाओ । मेरे बंधु प्रभू पूजा परमाधार है ॥ ( दोनों मिलकर ) - समझ आई अब बात तुम्हारी जग जंजाले कच्ची । भव सागर तरवा दीपक ब्यू जिनपूजा है सच्ची ॥ मेरे बंधु प्रभु पूजा परमाधार है । सब मिल पायो जिन गुण गानो लो लक्ष्मी नो लावो । चित्तौड गुरुकुल मण्डली ध्यानो अमर ‘फतह पद पावो । ___ मेरे बन्धु प्रभु पूजा परमाधार है। समरो न अमरा भई समरो न अमरा भई समरो न अमरा भई । सब नार हतीत थई समरो न श्रमरा भई ॥ माटलो लईने पाणी चाल्या माटलो लईने पाणी चाल्या । ठोकर लागी गई समरो न अमरा भई ॥ दुकडो लेन गांवडे चाल्या पानी खोवा गई । दीवो लई ने जोवा लागा दाढी बली गई ॥ समरो न अमरा भई समरो न अमरा भई ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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