Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 94
________________ मंचाद भूपेन्द्र. चालो बन्धु आइये जिनवरजी गुण गाइये । __ आनन्द पाइये भव दुख रे बंडा पार है ॥ मनोहर-बात तुम्हारी सच्ची पण कई कई बातां कच्ची। हम को जच्ची दमडा बडा कलदार है ॥ भूपेन्द्र-दमहा देखो नयन परेखो नरक मांहि ले जावे । प्रभु भक्ति बिन जीव कभी मुक्ति नहीं पावे ॥ मेरे बंधु पूजा परमाधार है। मनोहर- बिना द्रव्य दुनिया में देखो कछु काम नहीं होवे । __ धर्म कर्म करके सहु जगमें अपनी मिलकत खोवे ॥ मेरे बंधु दमडा बडा कलदार है ॥ भूपेन्द्र. दमडा दमडा करे दीवाना फिरे जगत में ज्यादा । दमडे कारण करे जो अनरथ तजे धर्म मर्यादा ॥ मेरे बंधु प्रभु पूजा परमाधार हैं। मनोहर- प्रभु पूजा करने जावे तो व्यापार संघलो खोवे । फुरसत पलभर मरने की नहीं धर्मकर्म कुण जोवे । ___ मेरे बंधु दमडा बडा कलदार है ।। भूपेन्द्र- पुण्य कमाई करी पूरव में इस भव पाया दमडा। इस भव में कछु नहीं करेगा तो जवाब लेगा जमडा। मेरे बंधु प्रभु पूजा परमाधार है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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