Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 52
________________ ( ३१ ) दुरदिन अान्यो जागो दुरदिन प्राव्यो । प्राची मां बंगाल री हालत जोई के जोई के॥ हता बंध्या तां हिन्दोस्तानी लेहिए अमारी रोई रे रोई रे । भारत जगायो जागो दुरदिन आव्यो जागो दुरदिन प्राव्यो । धरो प्रभु अवतार अबे धरणी मां रे, धरणी मां रे । बंधी गया के पाप बहु सृष्टि मां रे, सृष्टि मां रे॥ दृष्टि अमी नी भारत पर बरसाओ रे, बरसायो रे । रंक उगारो श्राव्यो दुरदिन आयो जागो दुरदिन प्राग्यो। प्यारा हिन्दोस्तान प्यारा हिन्दोस्तान हमारा प्यारा हिन्दोस्तान । कभी चांदनी कभी अन्धेरा। सभी सुखों का यहां बसेरा । ऊषा की मुस्कान निराली ऊषा की मुस्कान । प्यारा हिन्दोस्तान हमारा प्यारा हिन्दोस्तान ।। ऐसा हिन्दोस्तान कि जिसपर बिखर रहा धनधाम । करोडों नर रत्नो की खान । हिमालय शोभित मुकुट महान । गंगा यमुनाकी धारायें गाती कल२ गान॥ सुन२ कर गंधर्व लजाते ऐसी मीठी तान। प्यारा हिन्दोस्तान हमारा प्यारा हिन्दोस्तान । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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