Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 90
________________ रे दादा प्रट्टी वरतणो लाई रे नी रहूंगा। ढेकरिया में, हाकम वण जाऊं रे ॥ संवाद माता धारणी पुत्र-प्राज्ञा देदे मैया प्रेम से संयम लेऊं मैं धार माता धारणी ॥ माता-संयम मत ले रे हम को छोडके संयम है खांडा धार बेटा मान जा ॥ पुत्र-गुरुदेव का ज्ञान श्रवण कर छूटा मोह विकार माता धारणी ॥ माता-सर्दी गर्मी सहेगा कैसे तन है अति सुकुमार बेटा मान जा ॥ पुत्र-चाहे जितना लाड लडाओ तन होवेगा छार माता धारणी ॥ माता-अन्धे की लाटी है लाला तू है पालनहार बेटा मान जा ॥ पुत्र-भाग्य लिखा सब होवेगा माता कोई न पालनहार माता धारणी ॥ माता-तुझ बिन प्राण रहेंगे कैसे तू जीवन आधार-- बेटा मान जा ॥ पुत्र-झूठा है सब नाता माता मतलब का संसार माता धारणी ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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