Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 77
________________ चालो केसरिया ना देश मां हां रे दोस्त चालो केसरिया ना देश मां हां रे दोस्त- - मधुर मधुर वाजा वाय भावी लोको भजन गाय ॥ केसर नो कीच मचाय हां रे दोस्त चालो केस॥१॥ चित्तौड थई ने मेवाड रूडो प्रावशे कुम्भा राणानो थम जोवा वशे ॥ जैन गुरुकुल नी मुलाकात थाशे, प्राचीन तीर्थ नी कीर्ति उजवाशे ॥ करेडा पाव नी यात्रा थाशे हां रे दोस्त चालो केस०॥ . मारवाडे थई मेवाडे आवशु राजनगर नी यात्राये जावसु ॥ दयालशाह ना देहरा पुजावशु हां रे दोस्त चालो केसरिया ना० ॥ देलवाडा ना देहरे आवशु, अदभुतजी नी यात्राए जावशु ॥ पंच तीर्थी ना दर्शन पावशुं हां रे दोस्त चालो केसरिया ना० ॥ उदयपुर शहर सुन्दर पावशे पांत्रीश देहरा जोवावशे ॥ प्रायड नी यात्रा थाशे हां रे दोस्त चालो केसरिया ना ॥ डूंगरो वटीवी धुलेवा पोंचशुं भव अटवी ना फेरा मेटशुं । पूजा भक्ति करी आनंद पावशु हारे दोस्त चालो केसरिया ना० चार दिवस शांति थी पूजशुं चार गतियों ना बंधन तोडशु । नमी २ दादा ने भेटशु हां रे दोस्त चालो केसरिया ना देश मां भले होय घणो पाप भले होय दिले पाप ॥ फतह करशु तारो जाप हां रे दोस्त चालो केसरिया ना० ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120