________________
तूं ने राजा रंक बनाये तूं ने भिनुक राज बैठाये । तेरी लीला ऐसी महान बना मन मंदिर पालीशान ॥ झूठे जग की झूठी माया मूरख इस में क्यों भरमाया । कर कुछ जीवन का कल्याण बना मन मंदिर प्रालीशान ।
___ध्याओ ध्याओ नाम प्रभु का भ्यानो ध्यानो नाम प्रभू का ।
तारनहार ओ वीरजी धीरजी ॥ शंका इन्द्र जब मन में लाया ।
एक अंगूठे से मेरू हिलाया ॥ तब इन्द्र से लेकर देवी देव तक ॥
सब मन आई धीरजी वीरजी ॥ कीले जब कानों में गाडे ।
खीर पकाई जब चरणों पर ग्याले ।। तब हिले नहीं वो ध्यान से अपने ॥
पर्वत सम गंभीरजी धीरजी वीरजी ॥ चन्दनवाला के कर्म खपाये ।
शुभ गति अधिकारी पहुंचाये ॥ चरण से देकर धीरजी वीरजी ॥
तारनहारजी प्रो वीरजी धीरजी ॥ कर जोडी देव कहे तारोजी स्वामी ।
तीनों भवन के अन्तर्यामी ॥
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com