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बाबू कलरकी छोड कर दुशमन से नाता तोड कर कन्धे से कन्धा जोड कर
आगे बढो आगे बढा ॥
लामने पहाड
में
खुशमन की भीडम्भाड में इन गोलों की बौछार में आगे बढे आगे बढो ॥
सामने
क्या शोर है
सब तो जमाना ओर है
यह आजादी की डोर है आगे बढे आगे बढो ||
वन्दे मातरम्
फूल चमन के खिल गये खिल गये गाई खिजां उस पार निशाने लड गये रे
लेकर
झगडा तिरंगा हाथ में भारत मां को शीश नवा कर धन्य जवाहर चली वो चाल उदू पे पड गये रे
भारत का विधान बना
कर
बीर जबाहर
बुलबा कर
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वन्दे मातरम् ॥
वन्दे मातरम् ॥
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