________________
( ४२ )
श्री एकलिंग श्री नाथ द्वारिका चारभुजा गढबोर । केशरियाजी केशर
मांही रेवे सदा तरबोर ॥
म्हाने प्यारो लागे के || म्हारो० ॥ ४॥
रजवंशी कुल में जनम्या वीर प्रताप महान । कतरा हो वीरां री जननी या
वीरों से खान ॥
म्हाने प्यारो लागे छे | म्हारो० ॥ ५ ॥
जो दृढ राखे धर्म को तिहि राखे करतार । इण मन्तर से जाप जपे नित मेवाडी सरदार |
म्हाने प्यारो लागे छे | म्हारो० ॥ ६ ॥ भक्ति में मीरां बाई रो नाम घणो अनमोल || सतियां में पद्मावती ने राख्यो सतरो कोल ॥
म्हाने प्यारो लागे छे | म्हारो ॥ ७ ॥ ऐ जननी मेवाडी माता अबतो नैणा खोल । विश्व कहे यो बालक थांरो अवतो मुंडे बोल ॥
म्हांने प्यारो लागे छे | म्हारो० ॥ 5 ॥
नाव पडी मझधार
हमारी
नाव पड़ी मझधार
सरदार ।
तारेगा वल्लभ यस यस विदाउट फेल सरटनली
छोड जगत की झूठी माया
लोने पंच महावत धार
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com