Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 64
________________ थैंक्यू वेलडन वेरी बेल महिमा श्रगम तेरी ग्रोह विक्ट्री टू दी अंजीर थान तोड ( ४३ ) कम कम प्रोह माइ लाई नाचें गावें खुशियां मनावें मुख से बोलें जयजय कार ॥ हिप हिप हुर्रे सब छोड राग द्वेष वी बैंड श्रालवेज ज्योति जगे दिन रेंन यस यस विदाउट पेन नर नारी दर्शन को आवे दर्शन करके सुख पावें फेअर वेल गुड बाई नाव पडी मझधार हमारी तारेगा वल्लभ सरदार || प्रभु दर्शन के दोहे श्राव्यो दादा ने दरबार करो भवेोदधि पार । खरो तू छे आधार मोहे तार तार तार यात्म गुण नो भंडार तारी महिमा नो पार । तारी मूर्ति मनोहर हरे मन ना धिकार ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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