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(४८ ) जाने का चित्त न हो जिनजी को ध्यायें जायें । हो पात्म कमल मां लब्धि गुण तो तुम्हारे गाये ॥
दिल को मिला के० ॥३॥ तर्ज-अब तेरे सिवा कौन मेरा अब तेरे सिवा वीर मेरा कौन खिवैया । भगवान किनारे से लगा दे मोरी नैया ॥
मेरी खुशी की दुनिया कर्मों ने छीन ली।
मेरे सुखों की कलियां आकर के चीन ली ॥ अब तूही बचा मुझको प्रभु लाज रखैया । भगवान किनारे से लगा दे मोरी नय्या ॥
पूजा नहीं है पूरी अधूरी है भारती ।
श्रो वीर महावीर तुझे दुनिया पुकारती ॥ कहती है प्रभू वार बार ले के बलैया । भगवान किनारे से लगा दे मेरी नैया ॥
अब तेरे सिवा वीर मेरा कौन खिवय्या ।
भगवान किनारे से जगा दे मेरी नग्या ॥ तर्ज-कभी याद कर के गली पार कर के भक्ति भाव भज के सभी साज सज के गुण गाना,
सेवा से रंगना ॥
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