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( ३६ ) यह देवता हिमालय सब कुछ ही जानता है ।
गुण गा रही है निश दिन गंगा की निर्मलधारा ।। पोरस की वीरता को तू ही बता दे झेलम । यूनान का सिकन्दर था तेरे तट पर हारा।
चित्तौड तूही बता दे क्षत्राणियों का जौहर ।
पद्मा की भस्मी में था जौहर छुपा हमारा ॥ जंगल में था बसेरा और घास का था भोजन । लोगों न भूल जाना वह था प्रताप हमारा ॥
कोरस
ऐ हिन्द के सिपाहियों ऐ नौजवान भाइयों ऐ मौत के सैदाइयों
आगे बढो आगे बढो ॥ तलवार हमारे हाथ है तब डरने की क्या वात है। अब हिन्द हमारे साथ है
आगे बढो आगे बढो ॥ तलवार ले कर हाथ में दुशमन की निकलो घात में इस बीच अंधेरी रात में
आगे बढो आगे बढा ॥
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