Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 50
________________ ( २६) चली गई जुल्मी सरकार विचारी चल पडो सकल नरनारी ॥ युग के युग ऐसे बीत गये, हमको गुलाम सब कहते थे छोडो अब दुखके गाने गाना स्वारथकी प्राशाको छोडो श्राज हुए आजाद सभी नर नारी चलपडो सकल नर नारी ॥ मां बेटो को पति पत्नि को बहनें भैया को समझाना मचजाये प्रलयसारी दुनिया में अहिंसाको काम नहीं लाना रखना तुम लज्जा मांकी और हमारी चलपडोसकलनरनारी ॥ खूनी डाकू हत्यारों को मिलमिल कर समझाना है नयवुवकों जागो राष्ट्र की सेवा लेना है आज भाग्यसे 'फतह' हुई है हमारी चल पडो सकल नरनारी । मां के खातिर मर मिटने की मां के खातिर मर मिटने की जिसने मन में ठानी। यो बंग देश से चला शेर वह साफा बांध पठानी ॥ दिव्य ललाट चमकती काया, अांखों में था जादू छाया । ब्रह्मचर्य ही जीवन जिसका कहीं हार न मानी ॥ श्रो० ॥१॥ जिसका लोहा मान गये थे बर्मन प्रो जापानी ॥ कई प्राफतें आई पलट कर पर वे खूब लडे डट डट कर ॥ छुडा दिये छक्के जालिम के वह थी लक्ष्मी रानी ॥ श्रो० ॥ हिटलर ने फौजी बरदी दी हिज एक्सीलेन्सी की पदवी । मार्शल वीर सुभाषचन्द्र को विजय मिली बलिदानी ॥ श्रो० ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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