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(२८) तीरों तलवार बेकार होंगे ।
सोने वाले भी बेजार होंगे ॥ सब कहेंगे कि सर है कटाना ! पर न झण्डा ये नीचे झुकाना ॥
शान्त हथियार होंगे हमारे । पर वे तोडेंगे अरि के दुधारे ॥ पस भला हो अंगरेज जागे ।
लोभ हिन्दी हकूमत का त्यागे ॥ वरना बदलेगा सारा जमाना । आखिर उनको पडेगा ही जाना ॥
__ पन्द्रह अगस्त है आज पन्द्रह अगस्त है आज, सजो सर साज, करो जलूस की तैयारी, चल पडो सकल नर नारी ॥टेर ॥ प्रणवीरों फूट गुलामी से लबरेज भरी मटकी फोडी ।
जालिमके कडे दिल दहल पडे जेलोंकी दीवारें तोडी॥ अब है आजादी की खुशाली, चल पडो सकल नर नारी ॥१॥
दो खोल तिजोरी धनवालों, माँ पर सुखकी बदली छाई
सैनिक निकले हैं बिगुल बजा जैनगुरुकुलकी सैना पाई छोडो सब ऊचे महल अटारी चल पडी सकल नरनारी ॥२॥
प्रापसके झगडे को छोडो हिलमिलकर इनपर टूट पडें
चुपचाप घुसो इनके दिलमें फिर अहिंसा बमसे फूटपडे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com