Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 51
________________ (३०) गांधी नहरू पल्टन वन में खां खांस लडी दुशमन से। अमर हो गई इतिहासों में वह उनकी कुर्बानी ॥ो० ॥ भेद भाव कुछ नहीं जहां था केवल सैनिक धर्म वहां था। आजादी मकसद था जिनका धन्य धन्य वे प्राणी ॥ श्रो० ॥ मार्शल बोश कहां हो पात्रो पाकर मां को धीर बंधायो । हिन्द हृदय सम्राट बनायो झट दिल्ली रजधानी ॥ प्रो० ॥ कसे कहूं पञ्जाब के पुरदर्द नजारे कैसे कहूं पञ्जाव के पुरदर्द नजारे । है खून की होली खिले गैरों के सहारे ॥ लाहौर अमृतसर में बुरा हाल जो हुआ २ गलियों में फिरते थे आशीन विचारे ॥ है ॥ पिन्डी कमलपुर में बहे खून के दरिया २ सब कामयाब हो गये जर जर के इशारे ॥ है ।। लग गई मकानों में जो आग भी दिल में २ पल भर में जल गये महल मीनारे ॥ है०॥ ___जागो युवानों जागो जागो युवानों भारत नी नारी, युग पलटाव्यो जागो। युग पलटाव्यो । कई के बालूडा अन्न बिना टलवलतां रे टलवतां रे ॥ कई के रंक ना वस्त्र बिना तन सूना रे, तन सूना रे ॥ राशन नो जमानो रे परमेश्वर कलयुग लाग्यो कलयुग लान्यो। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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