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धीरों का जन्म दाता गुरुकुल हो हमारा ॥ निज जन्म भूमि भारत रहे क्लेश से अलग ही । गौरव बढाने वाला गुरुकुल हो हमारा ॥ तन मन सभी न्यौछावर महावीर का सन्देशा । जग में ले जाने वाला गुरुकुल हो हमारा ॥ हिम शैल तुल्य ऊंचा भागीरथी सा पावन । भूलों का मार्ग दर्शक दुखियों का हो सहारा ॥ आजन्म ब्रह्मचारी ज्योति जगा गया है । उस वीर का दुलारा गुरुकुल हो हमारा ॥
घट के पट ले खोल पर के पटले खोल मनवां घट के पटले खोन ।
सब झूठा है माल खजाना । सुपने सा है आना जाना ॥
क्यों इस मिट्टी में भरमाना । गया न श्रावे साथ किसी के बात हृदय में तोल ॥ पाषा घट के पटले खोल मनवा घट के पटले खोन ॥
क्षण भंगुर है तेरी काया । मूरख इसमें क्यों भरमाया ॥
चलती फिरती बादल छाया । पीर प्रभु का सुमिरन करले यह चोला है अनमोल । पापा घट के पट ले खोल मनवा घट के पटले खोल ॥
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