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याद हो गर वो पर न झगडा यह
याद हो जो तो न झगडा ये
( २७ )
है इसी से छिडा
होना आजाद या
खूँ में
नहाना ।
नीचे झुकाना ॥
उसने तो
था न क्या जुल्म ढाया । पेट के बल पे हमको चलाया ॥ कोसों बच्चों को पैदल भगाया । माँ बहनों को घर घर रुलाया ॥
फसाना |
तुम्हें वो
नीचे
झुकाना । और अब भी न क्या हो रहा है । कौन सुख नींद में सो रहा है ॥ लाखों पाते न भर पेट खाना । सच बोलो तो है जेलखाना ॥ यह तराना । मिट ही खाना ॥
बस वह कर लो अहद मर मिटेंगे । पर न इस व्रत से तिल भर हटेंगे ॥ कुछ हो यह मुल्क माजाद होगा । उजडा गुलशन ये आबाद होगा ॥ गायेंगे ग्राज हम सब ये हिन्द होगा न अब
गाना । जेलखाना ॥
झण्डा यह हर किले पर चढेगा । इसका दल रोज दूना बढेगा ॥
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