Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 48
________________ याद हो गर वो पर न झगडा यह याद हो जो तो न झगडा ये ( २७ ) है इसी से छिडा होना आजाद या खूँ में नहाना । नीचे झुकाना ॥ उसने तो था न क्या जुल्म ढाया । पेट के बल पे हमको चलाया ॥ कोसों बच्चों को पैदल भगाया । माँ बहनों को घर घर रुलाया ॥ फसाना | तुम्हें वो नीचे झुकाना । और अब भी न क्या हो रहा है । कौन सुख नींद में सो रहा है ॥ लाखों पाते न भर पेट खाना । सच बोलो तो है जेलखाना ॥ यह तराना । मिट ही खाना ॥ बस वह कर लो अहद मर मिटेंगे । पर न इस व्रत से तिल भर हटेंगे ॥ कुछ हो यह मुल्क माजाद होगा । उजडा गुलशन ये आबाद होगा ॥ गायेंगे ग्राज हम सब ये हिन्द होगा न अब गाना । जेलखाना ॥ झण्डा यह हर किले पर चढेगा । इसका दल रोज दूना बढेगा ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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