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(१०) दुखिया पास पडा है तेरे तैंने मौज उडाई क्या, सब से पहिले पूछ कर भोजन फिर तू खाया कर ॥३॥ देख दया उस वीर प्रभु की जिनशास्त्रों का ज्ञान दिया, जरा सोच ले अपने मन में कितनों का कल्याण किया, सब कर्मों को छोड कर उस ही को तू गाया कर ॥ ४॥
___अरज करूं जिनराज अरज करूं जिनराज दुखियों को दुख से टारना । अति दुख पायो मैंने कर्मो के फन्द से, हां कर्मों के फन्द सेइनसे वेग छुडाय यही है मेरी प्रार्थना ॥१॥ अरज०॥ लाख चौरासी में खूब रुलायो हां खूब रुलायोसुध बुध ही बिसराय कर्मों को जल्दी मेटना ॥२॥०॥ तारक बिरुद तिहारो प्रभु सुन कर पायो हां सुन कर पायोशरण देहुं जिनराज दुखों को जल्दी मेटमा ॥ ३ ॥ अरज ॥ मुझ को प्रभुजी श्राश तुम्हारी हां प्राश तुम्हारीशिवपुर दण्ड सोहाय यही है मेरी कामना ॥ ४॥ अरज ॥
ऊधो करमन की गति न्यारी ऊधो करमन की गति न्यारी । सव नदिया जल भर भर रहियां सागर किस विध खारी ॥१॥ उज्ज्वल पंख दिये बगुले को कोयल किस विध कारी ॥२॥
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