Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 41
________________ ( २० ) दुःस्वप्न कोई आकर हमको न भय दिखावे । अद्भुत हो कार्यशक्त मनमें प्रभु की भक्ति । प्रातः समय उठे जब इस देश के पुजारी ॥ महावीर यह विनय है महावीर यह विनय है जब प्राण तन से निकले । प्रिय देश देश रटते यह प्राण तन से निकले ॥ भारत वसुन्धरा पर सुख शांति संयुता पर । शस्य श्याम श्यामला पर जब प्राण तन से निकले ॥ देशाभिमान धरते जातीय गान करते । निज देश व्याधि हरते यह प्राण तन से निकले । भारत का चित्रपट है युग नैत्र के निकट हो । श्री जान्हवी का तट हो तब प्राण तन से निकले । नित हम तुम्हें रटें भगवान नित हम तुम्हें रटें भगवान, बने दयालु तथा बलवान ॥ मात पिता का कहना माने, सब को शीश नवाना जाने, सत्य ही बोलें झूठ न भाखें दुःख पडने पर धीरज राखें, हम वैरी को भी न सतावें, सदाचार से चित्त सुख पावे, नहीं उठावें चीज पराई, पावें नित हम शुद्ध बडाई, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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