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शुद्ध आत्मा कला ही प्रकटे मिटे राग और रीश ॥ प्रभु मोहे ऐसी करो बक्षीस ॥ २ ॥
गुण विलास की आसा पूरो हे जगपति जगदीश ॥ प्रभू मोहे ऐसी करो बक्षीस ॥ ३ ॥
मंगल मंदिर खोलो
मंगल मंदिर खोलो । दयामय मंगल मंदिर खोलो ॥ जीवन वन प्रति वेगे वटाव्यं । द्वार ऊभो शिशु भोलो ॥ तिमिर गवु ने ज्योति प्रकाश्यो
शिशु ने उर मां लो लो ॥
मंगल मंदिर खोलो । दयामय मंगल मंदिर खोलो ॥
नाम मधुरतम रट्यो निरन्तर, शिशु सम प्रेमे बोलो 1
दिव्य तृषासुर आव्यो बालक, प्रेम अमीरस ढोलो ॥
मंगल मंदिर खोलो । दयामय मंगल मंदिर खोलो ।
प्रातःकालीन प्रार्थना
जिनराज तुम्हीं जग जीवों के जग में अतिशय हितकारी हो । संकट में तुम्हीं सहायक हो विघ्नों के तुम्हीं निवारक हो ॥
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