Book Title: Mahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 35
________________ ( १४ ) शुद्ध आत्मा कला ही प्रकटे मिटे राग और रीश ॥ प्रभु मोहे ऐसी करो बक्षीस ॥ २ ॥ गुण विलास की आसा पूरो हे जगपति जगदीश ॥ प्रभू मोहे ऐसी करो बक्षीस ॥ ३ ॥ मंगल मंदिर खोलो मंगल मंदिर खोलो । दयामय मंगल मंदिर खोलो ॥ जीवन वन प्रति वेगे वटाव्यं । द्वार ऊभो शिशु भोलो ॥ तिमिर गवु ने ज्योति प्रकाश्यो शिशु ने उर मां लो लो ॥ मंगल मंदिर खोलो । दयामय मंगल मंदिर खोलो ॥ नाम मधुरतम रट्यो निरन्तर, शिशु सम प्रेमे बोलो 1 दिव्य तृषासुर आव्यो बालक, प्रेम अमीरस ढोलो ॥ मंगल मंदिर खोलो । दयामय मंगल मंदिर खोलो । प्रातःकालीन प्रार्थना जिनराज तुम्हीं जग जीवों के जग में अतिशय हितकारी हो । संकट में तुम्हीं सहायक हो विघ्नों के तुम्हीं निवारक हो ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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